Saturday, October 24, 2015

भारत-रूस अंतर-सरकारी परामर्श बैठक का 21वां दौर

भारत-रूस अंतर-सरकारी आयोग की वार्षिक बैठक में भाग लेने के विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने 19-21 अक्टूबर तक तीन दिन की रूस यात्रा की। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और रूस के उपप्रधानमंत्री दिमित्री रोगोजिन ने इस भारत-रूस अंतर-सरकारी परामर्श बैठक की संयुक्त रूप से अध्यक्षता की।

भारत और रूस के बीच अंतर-सरकारी आयोग की बैठक प्रत्येक वर्ष आयोजित की जाती है।

दोनों देशों के विदेश मंत्रियों की सह-अध्यक्षता में होने वाली यह 21वें दौर की बैठक थी।

अंतर-सरकारी आयोग की बैठक में भारतीय प्रतिनिधिमंडल की प्रमुख और भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने पिछले कई दशकों के दौरान अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में रूस के साथ भारत के सफलतापूर्वक सहयोग का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि रूस के साथ हमारी अद्वितीय रणनीतिक साझेदारी की शक्ति समय की प्रत्येक कसौटी पर खरी उतरी है।

दोनों देश विभिन्न क्षेत्रों में आपसी सहयोग को गहरा बना रहे हैं और इसका विस्तार कर रहे हैं।

भारत और रूस परमाणु ऊर्जा, रक्षा और अंतरिक्ष अनुसंधान जैसे प्रमुख क्षेत्रों में सहयोग के स्वाभाविक भागीदार हैं।

इसके अलावा, रूस प्रौद्योगिकी, मशीनरी, उपकरणों के निर्माण और तकनीकी जानकारियों के एक स्रोत के रूप में भारत के विकास की प्रक्रिया में एक और भी बड़ा भागीदार बन सकता है।

भारत और रूस ने अगले 10 साल में 30 अरब डॉलर के द्विपक्षीय कारोबार का लक्ष्य हासिल करने के लिए अपने आर्थिक संबंधों को मजबूत बनाने के उपायों पर चर्चा की।

दोनों देशों ने 2025 तक द्विपक्षीय प्रत्यक्ष निवेश बढ़ाकर 15 अरब डॉलर करने के उपायों पर चर्चा करते हुए इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए विभिन्न क्षेत्रों की पहचान की।

दोनों देशों के बीच 2014 में द्विपक्षीय व्यापार 9.51 अरब डॉलर था। इसमें भारत का निर्यात 3.17 अरब डॉलर और आयात 6.34 अरब डॉलर था।

कृषि, औषधि तथा बुनियादी ढांचा जैसे कुछ क्षेत्रों की पहचान की गई है जिनमें दोनों पक्ष पारस्परिक सहयोग संपर्क तेज करेंगे।

रूस और भारत आपसी व्यापार में राष्ट्रीय मुद्राओं के उपयोग का विस्तार करना चाहते हैं। राष्ट्रीय मुद्राओं के उपयोग से द्विपक्षीय व्यापार का विस्तार होगा क्योंकि मुद्राओं की विनिमय-दरों में उतार चढ़ाव का इस पर बुरा असर नहीं होगा। उद्यमियों के लिए भी यह सुविधाजनक होगा क्योंकि उन्हें इससे विनिमय-लागत से छुटकारा मिल जाएगा।

रूस ने कहा कि वह परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग, ताप बिजलीघरों, धातु व मशीन-निर्माण उद्योगों के उन्नयन, खनिज-पदार्थों की खोज, गैस-पाइपलाइनें, बिजली की लाइनें बिछाने, रेलवे के बुनियादी ढांचे के विकास, विमान व हेलीकाप्टर निर्माण, बाह्य अंतरिक्ष में अनुसंधान, संचार के आधुनिक साधनों के विकास, 'स्मार्ट सिटी' के निर्माण, औद्योगिक सुविधाओं के निर्माण, जल उपचार की आधुनिक प्रणालियों की स्थापना और विशेषज्ञों को प्रशिक्षण देने के कार्यों में भारत की सहायता करने को तैयार है। रूस और भारत के बीच परमाणु ऊर्जा, सैन्य-तकनीकी क्षेत्र, ऊर्जा के परंपरागत क्षेत्र, सूचना प्रौद्योगिकी आदि के क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाया जा सकता है।

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