Saturday, October 24, 2015

आंध्र प्रदेश की नई राजधानी का शिलान्यास

वर्ष 2014 में आंध्र प्रदेश से अलग होकर नया राज्य तेलंगाना बना था। इसके बाद आंध्र प्रदेश के पास अपनी राजधानी का संकट आ गया क्योंकि हैदराबाद तेलंगाना के हिस्से में चला गया था। आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने किसी शहर को राजधानी के तौर पर चुनने के बजाय एक नई राजधानी बसाने का निर्णय किया जिसे अमरावती का नाम दिया गया। 22 अक्टूबर को इस नए शहर का शिलान्यास किया गया। इस अवसर पर आयोजित समारोह में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी भाग लिया।  नई राजधानी अमरावती आंध्र प्रदेश के दो बड़े शहरों गुंटूर और विजयवाड़ा के बीच में बनेगी। गुंटूर से इसकी दूरी 36 किलोमीटर और विजयवाड़ा से करीब 19 किलोमीटर है।

अमरावती को आधुनिक शहर बनाने में सिंगापुर और जापान मदद कर रहे हैं

यह देश की पहली स्मार्ट सिटी होगी जिसका मास्टर प्लान स्वयं सिंगापुर सरकार ने डिज़ाइन किया है।

अमरावती आकार में सिंगापुर से 10 गुना और चेन्नई से 6 गुना बड़ी होगी. इसका निर्माण पीपीपी के आधार पर किया जाएगा.

इस स्मार्ट सिटी में 4 राष्ट्रीय जलमार्ग, एक हवाई अड्डा, चार हाई स्पीड रेल कॉरिडोर, बस रैपिड ट्रांज़िट और मेट्रो रेल नेटवर्क प्रस्तावित हैं। केंद्र अमरावती के लिए 26 किमी. मेट्रो परियोजना को मंजूरी देने के अलावा 210 किमी. लंबे रिंग रोड को भी मंजूरी दे चुका है.

इसके अलावा जापान और आंध्र प्रदेश ने 23 अक्टूबर को राजधानी अमरावती के विकास लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए. जापान बैंक फॉर इंटरनेशनल कोऑपरेशन और आन्ध्र प्रदेश सरकार के भीच यह समझौता हुआ है.

अमरावती देश में पांचवीं नियोजित राजधानी होगी. गांधीनगर (गुजरात), चंडीगढ़ (हरियाणा और पंजाब की संयुक्त राजधानी), भुवनेश्वर (ओडिशा) तथा नया रायपुर (छतीसगढ़) अन्य चार में शामिल हैं.

अमरावती कृष्णा नदी के किनारे पर है और देश के उन कुछ स्थानों में से एक है जहां नदी के बहाव की दिशा उत्तर की ओर है (अधिकांश नदियों का बहाव दक्षिण या पूर्व की दिशा में होता है)।

ऐतिहासिक महत्व के कारण नई राजधानी को अमरावती नाम दिया गया; लगभग 1800 वर्ष पूर्व अमरावती सातवाहन वंश के राजाओं की राजधानी भी रह चुकी है।

नई राजधानी के लिए भूमि अधिग्रहण

आंध्र प्रदेश सरकार के पास 22 हज़ार एकड़ ज़मीन थी; लगभग 32 हज़ार एकड़ ज़मीन की और ज़रूरत थी।

नई राजधानी के लिए विजयवाड़ा और गुंटूर के बीच 30 गांवों की 32 हज़ार एकड़ ज़मीन को चुना गया।

नई राजधानी की ज़मीन के लिए सरकार ने अधिग्रहण के बजाय लैंड पूलिंग  की नीति बनाई।

32 हज़ार एकड़ ज़मीन 18 हज़ार किसानों से ली गई जिसके बदले में उन्हें बेहतर मुआवज़ा मिला

मुआवज़े में हर किसान को दस वर्ष के लिए प्रति एकड़ 50 हज़ार रुपये मिलेंगे।

इसके अलावा हर किसान को 1000 वर्ग गज का पूर्ण विकसित आवासीय भूखंड भी  मिलेगा।

किसान को 200 से 300 वर्ग गज का एक व्यावसायिक भूखंड भी मिलेगा।

किसानों से ली गई ज़मीन का 50 प्रतिशत हिस्सा अवसंरचनात्मक ढांचा बनाने में इस्तेमाल होगा। 25 प्रतिशत हिस्सा ज़मीन देने वाले किसानों को एक प्रकार से लौटा दिया जाएगा; शेष 25 प्रतिशत हिस्सा राज्य सरकार अन्य कार्यों के लिए इस्तेमाल करेगी।

इसके अलावा, प्रधानमंत्री ने तिरूपति हवाई अड्डे पर गरूड़ टर्मिनल का उद्घाटन तथा तिरूपति में ही वेंकटेश्वर मोबाइल एवं इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण केन्द्र की आधारशिला भी रखी। यह देश का पहला मोबाइल विनिर्माण हब होगा, जहाँ शिओमी, जियोनी सहित कई कम्पनियां अपनी विनिर्माण इकाई लगाएंगी. इससे एक वर्ष में 10 हजार लोगों को रोजगार मिलने का अनुमान है.

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